40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले श्री राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे और संभवतः दुनिया के उन युवा राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने सरकार का नेतृत्व किया है।
श्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था। वे सिर्फ तीन वर्ष के थे जब भारत स्वतंत्र हुआ और उनके नाना स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उनके माता-पिता लखनऊ से नई दिल्ली आकर बस गए। उनके पिता फिरोज गांधी सांसद बने
श्री गांधी कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया।
स्कूल के बाद श्री गाँधी कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए लेकिन जल्द ही वे वहां से हटकर लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए। उन्होंने वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
उन्हें पश्चिमी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय एवं आधुनिक संगीत पसंद था। उन्हें फोटोग्राफी एवं रेडियो सुनने का भी शौक था हवाई उड़ान उनका सबसे बड़ा जुनून था। अपेक्षानुसार इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास की एवं वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया। जल्द ही वे घरेलू राष्ट्रीय जहाज कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए।
कैम्ब्रिज में उनकी मुलाकात सोनिया मैनो से हुई थी जो उस समय वहां अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं। उन्होंने 1968 में नई दिल्ली में शादी कर ली। वे अपने दोनों बच्चों, राहुल और प्रियंका के साथ नई दिल्ली में श्रीमती इंदिरा गांधी के निवास पर रहे।1980 में एक विमान दुर्घटना में उनके भाई संजय गाँधी की मौत ने सारी परिस्थितियां बदल कर रख दीं। उनपर राजनीति में प्रवेश करने एवं अपनी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी को राजनीतिक कार्यों में सहयोग करने का दवाब बन गया। फिर कई आंतरिक चुनौतियाँ भी सामने आईं। उन्होंने अपने भाई की मृत्यु के कारण खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसद क्षेत्र का उपचुनाव जीता।
श्री गांधी 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन व्यक्तिगत रूप से दु:खी होने के बावजूद उन्होंने संतुलन, मर्यादा एवं संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन किया।
महीने भर के लंबे चुनाव अभियान के दौरान श्री गांधी ने देश के लगभग सभी भागों में जाकर 250 से अधिक सभाएं कीं एवं लाखों लोगों से आमने-सामने मिले। स्वभाव से गंभीर लेकिन आधुनिक सोच एवं निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले श्री गांधी देश को दुनिया की उच्च तकनीकों से पूर्ण करना चाहते थे और जैसा कि वे बार-बार कहते थे कि भारत की एकता को बनाये रखने के उद्देश्य के अलावा उनके अन्य प्रमुख उद्देश्यों में से एक है – इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण।
21 मई, 1991 को विशाखापट्टनम में उन्होंने शानदार चुनाव प्रचार किया। प्रचार के बाद वे श्रीपेरुम्बुदूर के लिए रवाना हुए। राजीव गांधी रास्ते में रुक-रुक कर लोगों से मिल रहे थे। श्रीपेरुम्बुदूर पहुंचने तक रात के दस बज गए थे।
रात में राजीव गांधी लोगों को संबोधित करने के लिए मंच की तरफ जा रहे थे। कुछ लोग पूर्व पीएम को फूलों की माला पहनाकर स्वागत कर रहे थे जिनमें स्कूल के बच्चे भी शामिल थे।
करीब 10 बजकर 10 मिनट पर एक लड़की राजीव गांधी के पास आई। उस लड़की ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया और पांव छूकर आशीर्वाद लेने के लिए नीचे झुकी। तभी इस मानव बम ने अपने शरीर पर पहनी हुई आरडीएक्स बेल्ट में धमाका कर दिया।
इस आत्मघाती हमले में राजीव गांधी सहित 15 लोगों की मृत्यु हुई। धमाके में 43 अन्य भी लोग घायल हो गए।
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