09 अप्रैल को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के नेतृत्व में विनोद नगर, मंडावली, मयूर विहार व लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन पर जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।यहाँ पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के सभी पदाधिकारियों ने अपने साथी शिक्षकों के साथ लोगों को पर्चे बाँट कर दिल्ली सरकार के 12 महाविद्यालयों में पिछले कई महीनों से वेतन न दिए जाने को लेकर अपनी बात से सभी को अवगत कराया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 महाविद्यालय पूर्ण रूप से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तीय सहायता से संचालित होते हैं परंतु पिछले 4-5 महीने से इन महाविद्यालयों के शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है।कोरोना के इस जटिल समय में यह स्थिति उनके लिए और अधिक तकलीफ़देह बन गयी है।
आज के जनसंवाद कार्यक्रम में डुटा अध्यक्ष राजीब रे, उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडेय,सचिव राजिंदर सिंह, सह सचिव प्रेमचंद, राजेश झा,हरेंद्र सिंह, अमित सिंह खरब, जीतेंद्र मीणा, उदयवीर सिंह आदि ने भाग लिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय ने कहा कि देश के शीर्ष विश्वविद्यालय में शिक्षकों की स्थिति सोचनीय है। दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल जी ने 15 दिन पहले यह घोषणा की थी जो 28 करोड़ रुपया कॉलेज का बकाया है वह दे दिया जाएगा, लेकिन अभी तक वह पैसा जारी नहीं हुआ है। इसी तरह कोरोना जैसी महामारी में इन 12कॉलेज के कर्मचारियों का मेडिकल बिल भी पास नहीं हो रहा है। हम मजबूर होकर सड़क पर उतरे हैं और जब तक दिल्ली सरकार हमारी मांगों पर विचार कर पैटर्न ऑफ असिस्टेंस, 12 कॉलेज के समय पर वेतन देने के साथ-साथ सभी बकाया राशि नहीं देती हम विवश होकर प्रर्दशन करते रहेंगे। इसी तरह इन कॉलेजों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों और संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों की स्थति और दयनीय है।
उनकी स्थिति का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसकी सबसे ज़्यादा मार यही शिक्षक झेलते हैं क्योंकि न इनके पास नौकरी को लेकर कोई निश्चिंतता है और न ही आर्थिक सुरक्षा,इस तरह से ये शिक्षक दोहरी मार झेल रहे हैं।जब तक सरकार इस समस्या का समाधान नहीं दे देती,हम लगातार संघर्षरत रहेंगे।
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