दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने आज बुधवार, 7 अप्रैल को Absorption (समायोजन) को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पैदल मार्च रखा था।कोरोना की महामारी के बावजूद इस पैदल मार्च में सैकड़ों शिक्षकों ने हिस्सा लेकर जमकर नारेबाजी कर अपना रोष प्रकट किया।
पुलिस ने हमें आगे बढ़ने से मना कर दिया और हमें 144धारा की बात कर पैदल मार्च नहीं करने दिया और हमें जबरदस्ती बस में बिठाकर जंतर मंतर ले गई। बस में भी शिक्षकों ने जमकर नारेबाजी की।डूटा उपाध्यक्ष डॉ. आलोक रंजन पांडेय ने बताया की दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे लगभग 4000 से अधिक शिक्षक अपनी स्थायी नियुक्ति को लेकर परेशान हैं जिसका हल वन टाइम रेगुलेशन लाकर एबजार्बशन के द्वारा ही संभव है।
आज जिसतरह से शिक्षक कोरोना महामारी के बावजूद अपनी जान की बाजी लगाकर घर से निकले हैं वह उनकी परेशानी को बयां करता है और इस समस्या का समाधान केवल समायोजन से ही संभव है। यह समायोजन केवल नौकरी न होकर उनके जीवन-यापन का सवाल बन गया है। इस आंदोलन में जिस तरह से इन साथियों ने जज्बा दिखाया है उससे यह लगता है कि इस बार समायोजन के मुद्दे पर कुछ निर्णायक हल निकलेगा। हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मांग पर ध्यान दे, नहीं तो हम और अधिक तीव्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
इस रैली में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्र, अध्यक्ष डॉ. राजीब रे, सहसचिव डॉ. प्रेमचंद, सचिव डॉ. राजेंद्र सिंह,ए के भागी,आभा देव हबीब आदि पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
Comments
Post a Comment