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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय सेवा योजना, रामानुजन कॉलेज द्वारा महिला काव्य संगोष्ठी का आयोजन

रामानुजन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की एनएसएस शाखा और विश्व हिंदी संगठन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें देश भर से कई कवयित्रियों ने अपनी भागीदारी की। 

कार्यक्रम की शुरूआत  में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस. पी. अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में आज स्त्री शक्ति सबसे आगे है। उन्होंने आगे कहा कि अब वह समय दूर नहीं है जब महिलाएं न केवल शहर अपितु गांव की महिलाएं भी अपनी प्रतिभा, लगन और मेहनत से समाज को एक नई दिशा प्रदान करेंगी। इसके बाद विधिवत काव्य गोष्ठी की शुरुआत हुई जिसमें सबसे पहले गुजरात की डॉ सुशीला व्यास ने कुमार अंबुज की कविता 'एक स्त्री पर कीजिए विश्वास' सुना कर की। उन्होंने स्वानंद किरकिरे का गीत ओ री चिरैया भी प्रस्तुत किया जिसने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय हिंदी निदेशालय की सहायक निदेशक डॉ नूतन शर्मा उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि स्त्रियां और कविता एक जैसी होती हैं। दोनों ही मनुष्यता की पहचान होती हैं। उन्होंने एक लड़की थी, कुछ सपने उसकी आंखों में तैरा करते थे सुनाकर अपने वक्तव्य को समाप्त किया।

बैंगलुरू से जुड़ीं डॉ. कोयल विश्वास ने अपनी कविता 'नई सोच' को श्रोताओं के लिए प्रस्तुत किया। उन्होंने यह भी कहा कि बेटियां घर की खूबसूरती होती हैं। इसके बाद नारी तुम्हें सलाम  शीर्षक से भी एक कविता उन्होंने सुनाई। 

कानपुर, यूपी से डॉ गरिमा जैन जुड़ीं जिन्होंने नारी शक्ति की गौरव गाथा का गुणगान किया। अपनी कविताओं में उन्होंने नारी के अंतर्मन द्वंद को प्रस्तुत किया। जौनपुर, यूपी से डॉ पूनम श्रीवास्तव ने अपनी कविता धरा की व्यथा क्या है सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध किया। डॉ आरती पाठक ने छत्तीसगढ़ से कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और अपनी स्वरचित कविता बोये जाते हैं बेटे, उग जाती हैं बेटियां प्रस्तुत की जो कि अत्यंत मार्मिक रही। इसके बाद उन्होंने नारी अधिकारों से संबंधित कविता का पाठ भी किया।
डॉ  वसुंधरा जाधव ने मोनिका सिंह की कविता लड़कियों की जिंदगी आसान नहीं होती को अपनी आवाज में प्रस्तुत किया ।केरल से डॉ अनूरोज टी जे ने शिरकत की और प्रसिद्ध कवयित्री अनामिका की कविता को श्रोताओं के सामने रखा। डॉ नीलू सिंह ने जुड़ कर नारी के अनेक रूपों को कविता में गूंथा। डॉ छवि ने मैं मानवता की पुण्य देह शीर्षक कविता प्रस्तुत की। 

प्रज्ञा, प्रीति, स्वाति, सोनम, धृति, हर्षिता, आदि विद्यार्थियों ने भी अपनी कविताएं सुनाकर कार्यक्रम को सफल बनाया एवं सफलतम संचालन का दायित्व प्रज्ञा, आर्या और जान्हवी त्रिपाठी ने निभाया। 

अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए रामानुजन महाविद्यालय के एन एस एस संयोजक एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आलोक रंजन पांडेय ने सफल कार्यक्रम की सभी को बधाई दी एवं महिला दिवस की शुभकामनाएं भी प्रेषित की। उन्होंने देश भर से शामिल सभी महिला कवयित्रियों एवम प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि आज की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब सभी स्त्रियां अपनी चुप्पी तोड़ उठ खड़ी होंगी उन जुल्मों के खिलाफ जो आज तक उन्हें पीछे धकेलते आए हैं।इस कार्यक्रम की सफलता में सृजन, तरसेम, अंकित, अविका आदि के साथ मीडिया पार्टनर फोकस न्यूज का विशेष योगदान रहा।

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