14 जनवरी की शाम को भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई 4 सदस्यीय कमेटी से खुद को अलग कर लिया। भूपिंदर सिंह मान के इस फैसले पर BKU ने कहा कि ये किसान आंदोलन की वैचारिक जीत का उदाहरण है। संगठन ने आगे कहा कि हम उनका धन्यवाद करते हैं कि आज उनके अंदर का किसान जाग गया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान भी इस कमेटी में थे। हालांकि, गुरुवार को उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया। भूपिंदर सिंह मान के नाम पर शुरू से बवाल हो रहा था। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना था कि भूपिंदर सिंह मान पहले ही तीनों कृषि कानून का समर्थन कर चुके हैं।
भूपिंदर सिंह मान का क्या है कहना
भूपिंदर सिंह मान ने कहा कि एक किसान संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावना जानता हूं। मैं अपने किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हूँ। इन के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। मैं इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि चढ़ा सकता हूं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकता और मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं।
भूपिंदर सिंह मान की कृषि कानून पर राय
ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख भूपिंदर सिंह मान ने दिसंबर महीने में ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कानूनों का समर्थन कर दिया था। हालांकि, कुछ संशोधनों की मांग जरूर की थी, जिनमें एमएसपी पर लिखित गारंटी देने को कहा गया था। भूपिंदर सिंह मान का आंदोलनरत किसानों ने विरोध किया था।
(रिपोर्ट - नीलाक्ष वत्स)
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