आज 26 जनवरी है। कोरोना महामारी के कारण भले ही आज कोई विदेशी मेहमान हमारे इस राष्ट्रीय पर्व में शामिल नहीं हो रहे हैं फिर भी भारतीयों में इस राष्ट्रीय पर्व को लेकर अत्यंत उत्साह है। इस बार हमारे भारतीय वीरों के परेड को 25 हजार लोग देख पाएंगे जबकि पिछली बार इसे डेढ़ लाख लोगों ने देखा था। इस बार 96 सैन्य दस्ते और 32 झांकियों को ही लोग देख पाएंगे। इस बार कोरोना वैक्सीन की झांकी महत्त्वपूर्ण है।
इस दिन का भारतीय इतिहास में बहुत महत्व है, इस दिन को हमारे देश के आत्मगौरव तथा सम्मान से भी जोड़ा जाता है। भारत के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक है 26 जनवरी का दिन। यह वह दिन है जब भारत में गणतंत्र और संविधान लागू हुआ था। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में पूरे देश में काफी जोश और सम्मान के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि क्यों यह सभी भारतीयों के लिए राष्ट्रीय पर्व के त्योहार के साथ आत्मगौरव के दिन के रूप में महत्त्वपूर्ण है।
जब 15 अगस्त,1947 ई. को भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली तब हमारे देश का कोई अपना संविधान नहीं था।अपना संविधान ना होने के कारण हम अपनी प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था का कार्य अंग्रेजों द्वारा संचालित नीतियों के अनुसार ही करते थे। प्रशासनिक रूप से हम 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र हुए हैं, इसी कारण से भारतीय इतिहास में 26 जनवरी 1950 का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। भले ही हमें अंग्रेजों से आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली हो पर गणतंत्र भारत की परिकल्पना 26 जनवरी 1950 को साकार हुई। इस दिन भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने भारत को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया था। यह दिन भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इस दिन हमारे देश को पहली बार संप्रभु ,धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य घोषित किया गया था, तब से लगातार इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाया जाता है।
26 जनवरी 1950 को हमें भारत का संविधान और भारत का प्रथम राष्ट्रपति भी मिला था,सच कहा जाए तो वास्तव में हमें अंग्रेजों से आजादी भी इसी दिन मिली थी। प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसी दिन इरविन स्टेडयिम में भारतीय तिरंगा फहराया था तथा सेना द्वारा की हुई परेड और तोपों की सलामी भी ली थी।इस परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने हिस्सा लिया था। तब से लगातार इस दिन भारतीय सेना के तीनों अंग नए-नए करतब दिखाकर अपनी कार्यक्षमता का परिचय देते हैं। राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उसी दिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया।गणतंत्र दिवस के दिन मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा भी इसी दिन से शुरू हुई थी।1950 मे पहले मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो आए थे तो 2012 में मुख्य अतिथि के रूप में थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा शिरकत की थी तो 26 जनवरी 2020 को ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो मुख्य अतिथि के रूप में आए थे।
26 जनवरी 1955 को पहली बार परेड राजपथ से होकर गुजरा था, तब से लगातार परेड राजपथ से होकर गुजरता है। परेड की शुरूआत रायसीना हिल से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक जाती है। इसका रूट 8 किलोमीटर का है,सुविधाओं में बढ़ोतरी के कारण आज राष्ट्रपति कार में सवार होते हैं जबकि पहले परेड में राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बग्घी में सवार होकर सलामी ली थी। गणतंत्र दिवस समारोह का आरंभ अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री द्वारा शहीदों की श्रदांजलि देने से होता है तत्पश्चात शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री इंडिया गेट आते हैं जहाँ 21 तोपों की सलामी दी जाती है। राज्यों से आयी हुई झाँकियाँ सभी का मनमोह लेती हैं।इन झाँकियों में राज्यों में हुए विकास कार्य, संस्कृति और विविधता आदि को दिखाया जाता है। इस दिन वीरों को अशोक चक्र , कीर्ति चक्र, परमवीर चक्र, वीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित किया जाता है। इस दिन 24 बच्चों को, जिनकी उम्र 16 साल से कम है को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिये गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाता है।सम्मान स्वरूप बच्चों को मेडल, प्रमाणपत्र और नकद राशि दी जाती है।
इस दिन पूरे भारतवर्ष में रंगारंग उत्सव मनाया जाता है। प्रत्येक राज्य में राज्यपाल तिरंगा फहराते हैं और परेड की सलामी लेते हैं। यह राष्ट्रीय उत्सव 3 दिनों तक चलता है।26 जनवरी के बाद 27 जनवरी को एन.सी.सी. कैडेट कई कार्यक्रम पेश करते हैं।अंतिम दिन 28 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी होती है जिसमें बैंड भी शामिल होता है।पूरी दुनिया में गणतंत्र दिवस जैसा विशाल उत्सव केवल भारत में ही दिखता है।जय हिंद,जय भारत....
(लेखक - डॉ.आलोक रंजन पांडेय)
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)
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