एएडी से जुड़े एक्टिविस्ट और निर्वाचित शिक्षक प्रतिनिधियों, अकैडमिक कॉउंसिल और एग्जीक्यूटिव कॉउंसिल के सदस्यों विशेषकर एकेडमिक काउंसिल के सदस्य डॉ. सुधांशु कुमार के निरंतर पत्र व्यवहार और लगातार प्रयासों का नतीजा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने दौरा किया है। पिछड़े वर्ग के शिक्षकों के साथ होने वाले भेदभाव, रोस्टर में गड़बड़ी और एडमिशन से लेकर नियुक्ति प्रक्रिया तक विभिन्न स्तरों पर अनियमितताओं को शिक्षक निरंतर विश्वविद्यालय तथा आयोग के स्तर पर उठाते रहे, जिनका संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी सदस्यों के साथ विश्वविद्यालय पहुँच कर स्थिति का स्वयं जायजा लेने का निर्णय लिया। उम्मीद है कि इस दौरे से पिछड़े वर्ग के साथ हो रही गड़बड़ियों और भेदभाव पर रोक लगेगी तथा उन्हें न्याय मिलेगा।
ज्ञातव्य है कि UPA सरकार के समय में जब तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री स्व. अर्जुन सिंह ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में OBC वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया तो डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा के नेतृत्व में एएडी ने उसका स्वागत किया और साथ ही यह भी निश्चित करवाया कि विश्वविद्यालयों में शिक्षक-छात्रों के अनुपात में कोई बदलाव न हो तथा विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को इसे लागू करने के लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन और शिक्षक मुहैया कराया जाए। उस समय डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा के नेतृत्व में और उनके प्रयासों से दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके कॉलेजों को 4200 शिक्षक के पदों की मंजूरी मिली। लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी इसका पूरा लाभ पिछड़ा वर्ग को नहीं मिल पाया है।
एएडी से संबद्ध शिक्षक प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से मिलकर विश्वविद्यालय तथा कॉलेजों से जुड़े विभिन्न मुद्दों की जानकारी दी एवं उस पर आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने दौलतराम कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, श्रद्धानंद कॉलेज तथा जानकी देवी कॉलेज में आरक्षित वर्ग और विशेषकर पिछड़े वर्ग के शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय और उन्हें आरक्षित पदों के होते हुए भी बाहर निकालने की घटनाओं की जानकारी दी और उन शिक्षकों को पुनः बहाल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। नॉन टीचिंग की नियुक्ति जो ओबीसी सेकेंड ट्रांच की बढी हुई सीटों पर होना था वह अभी तक नहीं हुआ है। उस पोस्ट पर यथाशीघ्र नियुक्ति की मांग की। साथ ही रोस्टर बनाने में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने, लायजन ऑफिसर की नियुक्तियों में नियमों और पारदर्शिता लाने, विभिन्न कॉलेज में OBC सेल की स्थापना तथा हर साल रोस्टर वर्कशॉप आयोजित करने की मांग आयोग के समक्ष उठाई गई।
प्रतिनिधिमंडल में अकैडमिक कॉउंसिल सदस्य डॉ. सुधांशु कुमार ने आयोग के समक्ष विभिन्न कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के मनोनयन, प्रिंसिपल की नियुक्तियों तथा विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों, जैसे रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक आदि की नियुक्त में OBC वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करने की मांग उठाई। प्रतिनिधिमंडल में शामिल डूटा उपाध्यक्ष डॉ. आलोक रंजन पांडेय और सयुंक्त सचिव डॉ. प्रेमचंद ने भी आयोग का ध्यान पिछड़े वर्ग के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की समस्याओं की ओर आकृष्ट करवाया। साथ ही उन्होंने आयोग से यह भी निवेदन किया दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षकों को जहां पढा रहे हैं वहां उन्हें एब्जार्ब कराने की अनुशंसा की जाए। डूटा उपाध्यक्ष डॉ.आलोक रंजन पांडेय और डॉ. प्रेमचंद ने कुलपति महोदय से मिलकर यथाशीघ्र अब्सॉर्प्शन के लिए कमिटी की भी मांग की।
2013 में जो EC RESOLUTION (64)पास हुआ उसकी जिम्मेदारी भी कोई लेगा.
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