Skip to main content

"बता दूँ क्या..." व्यंग्य-संग्रह का लोकार्पण समारोह मुंबई राजभवन में संपन्न

महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी जी ने मंगलवार, 15 दिसंबर 2020 को राजभवन, मुंबई में एक हिंदी व्यंग्य संकलन 'बता दूँ क्या ..' के लोकार्पण समारोह के अवसर पर अपनेे वक्तव्य में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने तथा हिंदी को लोकप्रिय बनाने हेतु महाराष्ट्र और गुजरात की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इन दोनों राज्यों ने हिंदीभाषी राज्यों की तुलना में हिंदी को लोकप्रिय बनाने तथा प्रचार-प्रसार करने में अधिक योगदान दिया है।"
इस संबंध में, राज्यपाल ने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि- दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों ने बड़े पैमाने पर देश और दुनिया में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कार्य किया है।

साहित्य पर किसी का एकाधिकार नहीं होना चाहिए, इस पर माननीय राज्यपाल जी ने कहा कि- "कुछ तारे बादलों में छुपे होते हैं उनकी चमक दुनिया को दिखायी नहीं पड़ती, वैसे ही कुछ साहित्यकार और उनकी रचनाएँ जनमानस तक नहीं पहुँच पातीं, कुछ लोगों के एकाधिकार की वजह से कुछ लोग समाज में दिखाई नहीं दे पाते।"

राज्यपाल जी ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के संदर्भ में कहा कि- "हिंदी न सिर्फ भारत के कोने-कोने में समझी और बोली जाती है, बल्कि सूरीनाम, फिजी, मॉरीशस सहित दुनिया के कई देशों में भी समझी और बोली जाती है। वास्तव  में हिंदी अंतरराष्ट्रीय भाषा बनने की ओर अग्रसर है।"

व्यंग्य-संग्रह के संदर्भ में उन्होंने कहा कि- व्यंग्य लेख टॉनिक के समान होता है जो हंसी और आनंद प्रदान करते हुए प्राणवायु प्रदान करता है।" 
राज्यपाल जी ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों से मराठी सीखने की भी अपील की।
इस पुस्तक का संपादन डॉ. प्रमोद पांडेय द्वारा तथा प्रकाशन आर. के. पब्लिकेशन द्वारा किया गया है। इस संग्रह में कुल 14 व्यंग्यकारों के व्यंग्य सम्मिलित हैं। 
डॉ वागीश सारस्वत ने माननीय राज्यपाल द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। डॉ. प्रमोद पांडेय ने पुस्तक का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि- "आज का यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक कार्यक्रम है। महामहिम राज्यपाल जी की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक क्षण के हम सभी लोग साक्षीदार बन रहे हैं। यह कार्यक्रम ऐतिहासिक इसलिए है क्योंकि..
1- इससे पहले महाराष्ट्र के राजभवन में महामहिम राज्यपाल द्वारा कभी किसी व्यंग्य-संग्रह का लोकार्पण नहीं हुआ है। 
2- ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि अहिंदी भाषी प्रदेश महाराष्ट्र में हिंदी साहित्य व साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने का सराहनीय कार्य आज महामहिम राज्यपाल जी द्वारा किया जा रहा है। 
3- यह कार्यक्रम ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि कोरोना महामारी के बावजूद भी सकारात्मक सोच व सकारात्मक उर्जा के साथ महामहिम राज्यपाल जी ने इस राजभवन में हम सबको आमंत्रित करके न सिर्फ पुस्तक लोकार्पण का भव्य आयोजन करवाया है अपितु संपादक, प्रकाशक, व्यंग्यकारों व नवयुवा रचनाकारों में नवचेतना प्रवाहित करने के साथ-साथ हिंदी साहित्य की सरिता को सतत प्रवाहमान बनाए रखने हेतु प्रोत्साहित किया है।

व्यंग्य लेखन सामाजिक विसंगतियों पर करारा प्रहार होता है। व्यंग्य, हिंदी साहित्य लेखन की एक ऐसी शैली है जिसके द्वारा व्यंग्यकार जीवन की विसंगतियों, समाज के खोखलेपन व पाखंड को लोगों के समक्ष उजागर करता है। इस संग्रह में भी ऐसी ही विसंगतियों, पाखंडो व समाज के खोखलेपन को व्यंग्यकारों ने अपने व्यंग्य के माध्यम से उजागर किया है। इस संग्रह में राजनीतिक व धार्मिक बातों को शामिल नहीं किया गया है।

 श्रीमती आभा सूचक जी ने कोरोना काल तथा लॉकडाउन में किए गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। श्री आलोक चौबे ने आभार प्रदर्शन के दौरान कहा कि- "संग्रह के संपादक डॉ. प्रमोद पाण्डेय ने ऐसे ही तारों की रचनाओं को एकत्र कर उन्हें प्रकाशित करने का सराहनीय कार्य किया है जो बादलों में छुपे होते हैं तथा जिनकी चमक दुनिया को दिखायी नहीं पड़ती। अतः साहित्य पर किसी का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। हर किसी का अपना विचार और भाव है जो समाज को आगे बढ़ाने में मददगार होगा।"
संजीव निगम ने इस कार्यक्रम का सफल संचालन किया।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ. वागीश सारस्वत, पुस्तक के संपादक डॉ. प्रमोद पांडेय, सह-संपादक रामकुमार, श्रीमती आभा सूचक, आलोक चौबे, संजीव निगम, रमन मिश्र, अमरीश सिन्हा, पियूष शुक्ला, राम कुमार पाल, हास्य कवि मुकेश गौतम व हरीश चंद्र शर्मा, देवेंद्र भारद्वाज, एडवोकेट वी एल पाठक, सतीश धुरी, डॉ. महिमा, सुभाष काबरा, उमेश पाण्डेय आदि प्रतिष्ठित साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।

(रिपोर्ट - डॉ. आलोक रंजन पांडेय)

Comments

Popular posts from this blog

डॉ. अमिता दुबे, प्रधान संपादक, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा लिखित 'सृजन को नमन' पुस्तक पर देश के विद्वानों ने की चर्चा

विश्व हिंदी संगठन से समन्वित सहचर हिंदी संगठन, नई दिल्ली (पंजी.) द्वारा हर महीने पुस्तक परिचर्चा कार्यक्रम के तहत डॉ. अमिता दुबे द्वारा लिखित पुस्तक सृजन को नमन पर लाइव ऑनलाइन परिचर्चा हुई, जिसमें देश भर के साहित्यकारों ने जुड़कर विद्वानों को सुना। इस पुस्तक के लेखक डॉ. अमिता दुबे जी ने बताया कि मूलत: वे स्वाभवत: कहानीकार हैं परंतु विद्यावाचस्पति की अध्ययन के दौरान उनकी रुचि आलोचना की ओर प्रवृत्त हुआ। उन्होंने आगे बताया कि किस तरह इस पुस्तक को लिखा। इसमें उन्होंने अपने जीवनानुभवों को भी व्यक्त किया है।  कार्यक्रम में राजस्थान से जुड़ी डॉ.बबीता काजल ने यह पुस्तक में लिखे शोध आलेख हैं । जो शोधार्थियों और साहित्यानुरागी के हेतु अत्यंत उपयोगी होगी । सामाजिक परिवेश अत्यंत महत्वर्पूण होता है जहाँ रचनाकार को लेखन के बीज मिलते हैं। चिट्ठियों की दुनिया में राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुए वार्तालाप को कविता के रूप में रचा है जो अपने आप में एक अलग क्षितिज को दिखाता है। पुस्तक में हिंदी प्रचार एवं महत्व को उल्लेखित किया गया, देवनागरी लिपि की विशेषता का उल्लेख ध्वनि वैज्ञानिक दृष्...

कालिंदी कॉलेज में हुआ वार्षिक खेलोत्सव का आयोजन

दिनांक 23अपैल 2025 को कालिंदी कॉलेज ,दिल्ली विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स ग्राउंड में खेल दिवस का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 8:30 बजे एथलीटों की सभा के साथ हुआ। इसके पश्चात कॉलेज की प्राचार्य प्रो. मीरा चारांदा, डॉ. राखी चौहान,विभाग की प्रभारी डॉ. सुधा पांडेय, डॉ. सुनीता शर्मा आदि के साथ खेल में उत्कृष्ट छात्राओं के साथ मशाल जलाकर खेल भावना का संदेश दिया गया। खिलाड़ियों ने खेलों में निष्पक्षता और उत्साह के साथ भाग लेने की शपथ ली। तत्पश्चात  विभिन्न रोमांचक प्रतियोगिताओं की श्रृंखला आरंभ हुई । स्पोर्ट्स की छात्राओं और अन्य छात्राओं के लिए तीन टांगों वाली दौड़ , पिट्टू दौड़,रस्साकशी , प्रतियोगिता कराई गई जिसमें टीम भावना और शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला।  इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में फीजिकल एजूकेशन, डीयू की विभागाध्यक्षा प्रो. सरिता त्यागी उपस्थित रहीं । उन्होंने अपने प्रेरक उद्बोधन से छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि अब जीवन में यश और पैसा कमाने का अवसर जितना शिक्षा में है उतना ही अवसर खेल में अव्वल रहकर प्राप्त हो सकता है।  ...

इन्विटेशनल इंटर कॉलेज बॉक्सिंग प्रतियोगिता में कालिंदी कॉलेज को मिला प्रथम स्थान

दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज में कल से शुरू हुए खेल प्रतियोगिता में डीयू के लगभग 15 से ज्यादा कॉलेज की लगभग 200 छात्राओं ने बॉक्सिंग, कबड्डी और वॉलीबॉल में अपने हुनर से सभी का दिल जीत लिया। विदित है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज में पहली बार बॉक्सिंग का इंविटेशनल अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता हुआ जिसमें गार्गी कॉलेज, मिरांडा हाउस, लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ वूमेन कॉलेज, अदिति कॉलेज, जानकी देवी महाविद्यालय, शहीद राजगुरु कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, कालिंदी कॉलेज आदि के 40 से ज्यादा छात्राओं ने विभिन्न वेट कैटेगरी में हिस्सा लेकर अपने जोश और हुनर का परिचय दिया। बॉक्सिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान कालिंदी कॉलेज, द्वितीय स्थान लक्ष्मी बाई कॉलेज तो लेडी श्रीराम कॉलेज को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इसी तरह कबड्डी में अदिति महाविद्यालय को प्रथम , कालिंदी को द्वितीय और लक्ष्मी बाई कॉलेज को तृतीय तो वॉलीबॉल में गार्गी कॉलेज को प्रथम, कालिंदी कॉलेज को द्वितीय और लेडी श्रीराम कॉलेज को तृतीय स्थान मिला। इस प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कबड्...